battery kya hota hai,what is battery
बैटरी क्या होता है
बैटरी एक उर्जा संचयन यंत्र होता है जो विद्युत ऊर्जा को राख या अन्य रासायनिक रूप में उपसंचयित करता है। इसका उपयोग बाद में उर्जा को अपवर्जित करने के लिए किया जाता है, जब उर्जा की आवश्यकता होती है, जैसे कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, मोबाइल फोन, ऑटोमोबाइल, इंवर्टर, विद्युत गाड़ियों आदि के लिए।
बैटरी का मुख्य तत्व दो से अधिक धातु या रासायनिक तत्वों के बीच विद्युताक्षेपण की रिएक्शन का परिणाम होता है। इस रिएक्शन के कारण, उर्जा इलेक्ट्रॉनिक रूप से अवशोषित करने के लिए इलेक्ट्रॉन को बंद करती है, और इस तरीके से उर्जा को बचाकर संग्रहीत करती है।
बैटरी में अनेक प्रकार के तत्वों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि लिथियम आयन बैटरी, निकेल-कैडमियम बैटरी, लीड-एसिड बैटरी, निकेल-मेटल हाइड्राइड बैटरी, फ्लोरिन बैटरी, आदि। प्रत्येक तत्व में उपयोग किए जाने वाले धातुओं और रासायनिक पदार्थों के कारण, बैटरी के गुणवत्ता, उपयोग का समय, और मूल्य आदि में अंतर हो सकता है।
एक साधारण लाइथियम-आयन बैटरी मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे उपकरणों में आम तौर पर उपयोग किया जाता है। इसे पुनर्चार्ज किया जा सकता है और इसका उपयोग लंबे समय तक किया जा सकता है जो इसे प्रस्तुत किसी अन्य एक्सेसरी के मुकाबले एक अच्छा विकल्प बनाता है।
इस तरह, बैटरी एक उपयुक्त तंत्र है जो हमें उर्जा संचय करने और आवश्यकता के समय उर्जा प्रदान करने में मदद करता है।
बैटरी एक उर्जा संचयन उपकरण होता है जिसमें विभिन्न ऊर्जा के स्रोतों से उत्पन्न की जाने वाली विद्युत ऊर्जा को संचयित किया जाता है और इसे बाद में उपयोग के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है। बैटरी विभिन्न प्रकार की इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों, गाड़ियों, उड़ानों, मोबाइल फोनों, घड़ियों, और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में बिजली की आपूर्ति करने के लिए उपयोग होती है।
बैटरी में आम तौर पर दो संशोधक या धातु युग्मों के बीच विद्युताघात (इलेक्ट्रोकेमिकल अभिक्रिया) के कारण विद्युत ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह दो अलग-अलग संशोधकों के बीच विद्युताघात के बारे में ज्ञात अभिक्रिया है, जो इलेक्ट्रॉनों को एक धातु से दूसरे धातु में स्थानांतरित करते हैं।
बैटरी के दो प्रमुख परंपरागत प्रकार होते हैं: प्राथमिक बैटरी और सेकंडरी बैटरी।
प्राथमिक बैटरी: प्राथमिक बैटरी एकबार उपयोग होने वाले बैटरी होती है, जिसमें एक बार इस्तेमाल करने के बाद उसकी क्षमता कम हो जाती है और उसे फिर से चार्ज नहीं किया जा सकता। इसे नॉन-रिचार्जेबल बैटरी भी कहा जाता है।
सेकंडरी बैटरी: सेकंडरी बैटरी चार्ज करने और खाली करने के बाद फिर से उपयोग किए जा सकते हैं। ये रिचार्जेबल बैटरी के रूप में भी जानी जाती हैं। उदाहरण के लिए, लिथियम-आयन बैटरी, लिथियम-आयन पॉलीमर बैटरी, निकेल-कैडमियम (NiCd) बैटरी, निकेल-मेटल हाइड्राइड (NiMH) बैटरी, और लिथियम-इयोन बैटरी जैसे सेकंडरी बैटरी के उदाहरण हैं।
बैटरी के उपयोग में तकरीबन सभी उदाहरणों में, जब एक संशोधक युग्म पर विद्युताघात का प्रभाव पड़ता है, तो उसमें रखी विद्युत ऊर्जा का प्रकार इलेक्ट्रिकल शक्ति के रूप में होता है जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों द्वारा उपयोग किया जा सकता है।
बैटरी एक उपादान है जो विद्युत् ऊर्जा को संग्रहित करता है और यातायातिक या इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को विद्युत् ऊर्जा प्रदान करने के लिए इसे विनिर्माण किया जाता है। इसे रिचार्ज करने या फिर से पुनः यूज़ करने के लिए विद्युत् ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है। बैटरी का प्राथमिक उद्देश्य विद्युत् ऊर्जा को संग्रहीत रखना होता है और जब उपकरणों को ऊर्जा की जरूरत होती है, तो इसे उपकरणों में विद्युत् शक्ति के रूप में जारी किया जा सकता है।
बैटरी के आंतरिक तत्व मुख्य रूप से दो विभागों से मिलकर बने होते हैं:
संज्ञानात्मक अंश (Electrolyte): यह विद्युत् धारा के विद्युत अविर्भाव (ionization) को संभव बनाने में मदद करता है और विद्युत् धाराओं को संचारित करता है। यह विभिन्न प्रकार के बैटरी में अलग-अलग रूपों में पाया जा सकता है, जैसे कि शाखा-ताकती विद्युत या स्रावीय विद्युत।
रेखागणित (Electrodes): बैटरी में दो धातु या धातुओं के आधारित रेखागणितिक तत्व होते हैं। इनमें एक धातु को "धानी" और दूसरी को "अनोधी" भूमि बनाया जाता है। ये रेखागणितिक तत्व बैटरी के विद्युत् धारा को प्रवाहित करते हैं जब विद्युत् बैटरी के संरचना के माध्यम से पास होती है।
बैटरी का प्रकार और उपयोग विभिन्न हो सकते हैं, जैसे कि मोबाइल फोन बैटरी, ऑटोमोबाइल बैटरी, इन्वर्टर बैटरी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए रिचार्जेबल बैटरी आदि। बैटरी विज्ञान और तकनीक में विशेषज्ञता रखने वाले वैज्ञानिक और इंजीनियर इसके विकास और उपयोग में लगे रहते हैं ताकि ऊर्जा संचय और विद्युत् बैटरी तकनीक में नए और उन्नत संशोधन किए जा सकें।
#battery kya hota hai
No comments:
Post a Comment