प्रत्यावर्ती धारा परिपथ ( #Alternating current circuit )
प्रत्यावर्ती धारा एवं वोल्टेज का समीकरण ( Equation of alternating current and voltage )
प्रत्यावर्ती धारा का तात्माणिक मान ( instantaneous alue ) प्रत्येक क्षण बदलता रहता है तथा परिपथों में इसका प्रभाव आत करने के लिये वर्ग माध्य मूल ( root mean square ) मान को प्रयुक्त किया जाता है ।प्रत्यावर्ती धारा उत्पादन के लिये प्रत्यावर्तक ( alternator ) प्रयक्त किया जाता है । एक सरलतम व्यवस्था में किसी कुण्डली को शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र में तेजी से घुमाने पर प्रत्यावर्ती धारा उत्पन्न की जा सकती है । चुम्बकीय क्षेत्र में कुण्डली के लगातार घमने से कुण्डली से ग्रन्थित ( linked ) फ्लक्स प्रन्थियों ( flux Hares ) की संख्याओं में परिवर्तन होता है ।
जिसके कारण फैराडे के विद्युत - चुम्बकीय प्रेरण के नियम के अनुसार कुण्डली में वि . वा . बल प्रेरित होता है । यदि कुण्डली के तल का क्षेत्रफल A , तथा उसमें वर्तनों ( turns ) की संख्या N है तब चुम्बकीय क्षेत्र B में , कोणीय वेग ω से कुण्डली को घुमाने पर प्रेरित वि . वा . बल
e = NBA ωsin ωt (1)
#Alternatingcurrent circuit |
यहाँ e वि . वा . बल का तात्क्षणिक मान है । कि वि० वा . बल का मान समय ' ' के साथ परिवर्तित होता है ।
समीकरण में sin ωt का अधिकतम मान 1 हो सकता है । अत : कुण्डली में प्रेरित अधिकतम वोल्टेजEmax = NBA ω (2)
NBA R ω = Emax. रखने पर प्रत्यावर्ती धारा की समीकरण
e = Emax sin ωt (3)
वोल्टेज का अधिकतम मान ( peak value or maximum value or crest value ) अथवा शिखर मान कहलाता है । इसी प्रकार किसी परिपथ में ए . सी . वोल्टेज e = Emax ωt प्रयुक्त करने पर उसमें प्रवाहित धारा भी समय के साथ परिवर्तित होगी । A . C . परिपथों में धारा प्रयुक्त अवयवों ( प्रतिरोध , प्रेरक एवं धारिता ) पर निर्भर करती है । सामान्य रूप से । सेकण्ड पर किसी परिपथ में प्रवाहित धारा का रूप निम्नलिखित होता है ।
i = Imax sinwt (4)
यहाँ Imax परिपथ में प्रवाहित होने वाली अधिकतम धारा है । यदि किसी परिपथ में वोल्टेज एवं धारा समीकरण 3 तथा 4 के अनुसार हो तब वोल्टेज एवं धारा वक्र 2 की भांति प्रदर्शित किया जा सकता है ।
Equation of alternating current |
आयाम ( Amplitude ) :-
प्रत्यावर्ती धारा के अधिकतम मान ( Emax या Imax ) को धारा का आयाम कहते हैं ।
आवर्तकाल ( Time Period )
चुम्बकीय क्षेत्र में कुण्डली के परिभ्रमण के एक चक्कर में धारा शून्य से अधिकतम , अधिकतम से शून्य तथा पुनः विपरीत दिशा में अधिकतम तथा पुनः शून्य होती है । इस सम्पूर्ण चक्र में व्यय समय धारा का आवर्त काल कहा जाता है । यदि कुण्डली का कोणीय वेग ω हो तब एक परिभ्रमण में लिया गया समय अर्थात् आवर्त काल
Awartkal formula
T = 2π/ω
आवृत्ति ( Frequency )
एक सेकण्ड में प्रत्यावर्ती धारा द्वारा पूर्ण किये गये चक्रों की संख्या ( cycles / second ) धारा की आवृत्ति कहलाती है । सामान्यतः आवृत्ति , कुण्डली द्वारा एक सेकण्ड में किये गये । परिभ्रमणों की संख्या के बराबर होती है अर्थात्Frequency formula
F = 1/t
=ω/2π
ω=2πf
प्रत्यावर्ती धारा का औसत मान ( Average Value of A . C . )
प्रत्यावर्ती धारा के पूर्ण चक्र का औसत मान शून्य होता है । धारा का अर्धचक्र में औसत मान निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है
Average Value of A . C . |
Iav = 1/2π f0 imax ωt d (ωt)
=2π/Imax
प्रत्यावर्ती धारा का वर्ग माध्य मूल मान ( Root mean Square Value of A . C )
यह प्रत्यावर्ती धारा का प्रभावी मान है । यह निम्न सूत्र द्वारा ज्ञात किया जा सकता है
R M S Value of farmula
Root mean Square Value of A . C |
प्रत्यावर्ती धारा का वर्गमाध्य मूल मान दिष्ट धारा के उस मान के बराबर है जिसके द्वारा किसी प्रतिरोध में उतनी ही दर से ऊष्मा उत्पन्न होती है जितनी कि प्रत्यावर्ती धारा में होती है ।
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