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Friday, March 29, 2019

डायोड कैसे काम करता है

डायोड कैसे काम करता है (How the diode works)


ये diode तब operate करते हैं जब की एक voltage signal को apply किया जाये इसके terminals के across. Circuit को operate करने के लिए जब DC voltage की application की जाती है तब इस प्रक्रिया को ‘Biasing’ कहा जाता है. जैसे की मैंने पहले ही बताया है की ये diode resemble करती है one way switch को जिससे की ये 
या तो conduction के state में होता है या फिर non conduction के state में.






Diode में ‘ON’ state को achieve किया जाता है ‘Forward biasing’ के द्वारा जिसका मतलब होता है की positive या higher potential को apply किया जाये anode को और negative या lower potential apply किया जाए cathode को एक diode में. इसे दूसरी भाषा में समझें तो, Diode के ‘ON’ state में applied current, arrow head के समान direction में स्तिथ होता है.
Diode में ‘OFF’ state को achieve किया जाता है ‘Reverse biasing’ के द्वारा जिसका मतलब होता है की positive या higher potential को apply किया जाये cathode को और negative या lower potential को apply किया जाये anode को एक diode में. इसे दूसरी भाषा में समझें तो, Diode के ‘OFF’ state में applied current, arrowhead के उलटी direction में स्तिथ होता है.




ये ‘ON’ state में, practical diode को एक resistance का सामना करना पड़ता है जिसे की ‘Forward resistance’ कहते हैं. ये diode को एक forward bias voltage की जरुरत होती है उसे ‘ON’ condition में switch करने के लिए, इस voltage को Cut-in-voltage कहा जाता है.

Diode reverse biased mode में conduct करने लगता है जब reverse bias voltage अपनी limit को exceed कर लेता है, इसी voltage को Breakdown voltage कहा जाता है. ये diode ‘OFF’ state में स्तिथ होता है जब कोई भी voltage उसके across apply न किया जाये तब. एक simple p-n juction diode को fabricate किया जाता है बस p और n type layers को doping कर एक silicon या germanium wafer में. अब आप सोच रहे होंगे की क्यूँ Silicon और Germanium materials को क्यूँ prefer किया जाता है fabrication के लिए,
 तब इसका जवाब होता है : – ये materials high purity में available होते हैं. इसमें एक Slight doping जैसे की one atom per ten million atoms एक desired impurity में होने से ये conductivity को बदल कर रख सकती है एक considerable level में. इन materials की properties change हो जाती है जब heat और light को apply किया जाता है और इसलिए ये महत्वपूर्ण होता है heat और light sensetive devices को develop करने में. डायोड के प्रकार डायोड ऑफ ऑल टाइप्स: बहुत प्रकार के डायोड होते है, जैसे जेनर डायोड, सुरंग डायोड, अर्धचालक डायोड, पावर डायोड, इत्यादि. यहाँ आपको सभी की जानकारी मिलेगा और वोह किस लिए इस्तिमाल किये जाते है.

 1. Zener Diode इसका आविष्कार 1934 में Clarence Zener ने किया था. यह एक साधारण Diode की तरह करंट को एक ही दिशा में जाने देता है लेकिन जब वोल्टेज ब्रेकडाउन वोल्टेज से ज्यादा हो जाता है तो यह करंट को उल्टी दिशा में भी जाने देता है. इसका आविष्कार एकदम से आने वाली वोल्टेज से बचने के लिए किया गया था. यह Diode एक वोल्टेज रेगुलेटर की तरह काम करता है.

 2. Constant Current Diodes इस Diode का मुख्य काम वोल्टेज को विशेष करंट पर नियमित रखना है. इस करंट लिमिटेड डायोड या डायोड कनेक्ट ट्रांजिस्टर भी कहते है

 3. Shockley Diode यह पहला Pnpnलेयर वाला सेमीकंडक्टर Diode था. इसका आविष्कार 1950 के दशक में William Shockley ने किया था और इस Diode का नाम भी उन्ही के नाम पर रखा गया.

 4. Light Emitting Diode (LED) यह Diode इलेक्ट्रॉनिक एनर्जी को लाइट एनर्जी में बदलता है. इसे प्रकाश उत्सर्जक डायोड भी कहा जाता है. इसका आविष्कार 1968 में किया गया था. यह Diode फॉरवर्ड बायोस की स्थिति पर काम करता है. पहले इस Diode का इस्तेमाल इंडक्टर लैम्प में किया जाता था लेकिन अब इसका इस्तेमाल बड़े स्तर पर होने लगा है. अब इसे ट्रैफिक सिग्नल के कैमरों में भी यूज़ किया जाने लगा है.

 5. Schottky Diode यह Diode सेमीकंडक्टर मटेरियल और धातु के जंक्शन के द्वारा बनी होती है. इसमें वोल्टेज कम ड्राप होती है. इसमें धातु होने के कारण यह Diode बहुत अधिक मात्रा में करंट बहाने की क्षमता रखती है. इस Diode का नाम जर्मनी के Physicist Walter H. Schottky के नाम पर रखा गया था.

 6. Tunnel Diode बहुत तेजी से स्विच करने के लिए इस डायोड का इस्तेमाल किया जाता है. जिस जगह कार्य नैनो सेकंड में करवाना हो वहां इसका यूज़ किया जाता है. इसका आविष्कार 1957 में Leo Esaki द्वारा किया गया था, इसलिए इसे Esaki Diode भी कहते है.

 7. Varactor Diode यह वैरियेबल कैपीसिटर की तरह काम करता है. इसको बहुत सारे उपकरणों में इस्तेमाल किया जाता है जैसे सेल फ़ोन, सैटेलाइट, प्री-फिल्टर्स आदि.

 8. Laser Diode इसे LD या इंजेक्शन लेजर डायोड के नाम से भी जाना जाता है. यह Light Emitting Diode की तरह ही कार्य करता है. लेकिन यह लाइट की जगह एक लेजर बीम बनाता है. इसका उपयोग आज के समय में फाइबर ऑप्टिक, बारकॉड रीडर्स, लेज़र पॉइंटर्स, CD/DVDआदि में होता है. डायोड का क्या काम है चलिए Diode के uses के विषय में और अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं.

 Rectification – इसमें rectification का मतलब होता है AC voltage को DC voltage में convert करना. जो common rectification circuits का ज्यादा इस्तमाल होता है वो हैं half wave rectifier (HWR), full wave rectifier (FWR) और bridge rectifier. Half wave rectifier: ये circuit rectify करते हैं या तो positive या फिर negative pulse को input AC की. Full wave rectifier: ये circuit convert करती है entire AC signal को DC में. Bridge rectifier: ये circuit convert करती है entire AC signal iको DC में. Clipper – Diode का इस्तमाल किसी pulse के कुछ portion को clip off करने के लिए भी इस्तमाल किया जा सकता है बिना कोई distortion पैदा किये waveform के बाकि हिस्सों में. Clamper – एक clamping circuit restrict करता है voltage levels को एक limit को exceed करने के लिए, जिसके लिए उन्हें DC level को shift करना होता है.

इस clamping में peak to peak को कोई भी affect नहीं होगा. इन Clamping circuits में उन Diodes का इस्तमाल किया जाता है जिसमें की resistors और capacitors हों. कभी कभी independent DC sources का इस्तमाल किया जाता है कोई additional shift प्रदान करने के लिए. इसका उपयोग Alternate Current को Direct Current में बदलने के लिए किया जाता है. तापमान मापने में इसका यूज़ किया जाता है. Radio Demodulation में भी Diode का यूज़ किया जाता है. सर्किट में करंट को मोड़ने के लिए इसका इस्तेमाल होता है. ओवर वोल्टेज प्रोटेक्शन के लिए Diode का यूज़ किया जाता है. Voltage Regulator और Signal Mixingमें इसका यूज़ किया जाता है

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